अश्वमेघ Ashwamegh

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Q.अश्वमेध का क्या अर्थ है?

Ans.वह यज्ञ जिसमें चक्रवर्ती सम्राट घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बाँधकर भूमंडल भ्रमण के लिए छोड़ता था और घोड़े को रास्ते में रोकने वालों को युद्ध में पराजित कर विश्वविजय करते हुए अंततः उस घोड़े को मार कर उसकी चरबी से हवन करता था

Q.अश्वमेध यज्ञ का अर्थ क्या है?

Ans.अश्वमेध भारतवर्ष के एक प्रख्यात प्राचीनकालीन यज्ञ का नाम है । … 1) का कथन है कि जो सब पदार्थो को प्राप्त करना चाहता है, सब विजयों का इच्छुक होता है और समस्त समृद्धि पाने की कामना करता है वह इस यज्ञ का अधिकारी है। इसलिए सार्वीभौम के अतिरिक्त भी मूर्धाभिषिक्त राजा अश्वमेध कर सकता था (आपस्तम्ब श्रौतसूत्र 20।

Q.अश्वमेघ यज्ञ कौन करवाया था?

Ans.Jaipur, Rajasthan, India. जयपुर। राजसूर्य-वाजपेय आदि यज्ञ आमेर में कराने के बाद सवाई जयसिंह ने कलयुग का पहला Ashwamegh Yagya परशुरामद्वारा इलाके में कराया था

Q.अश्वमेध यज्ञ के घोड़े का क्या नाम था?

Ans.फिर इसे झांकियों की तरह शहर में घुमाया जाता है। इस कर्ण घोड़े को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का दूत माना जाता है। जगमगाती रोशनी और बैंड बाजे के साथ प्रयाग में कर्ण घोड़े के जुलूस निकालने की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। तब से हर वर्ष दशहरे से पहले इसका जुलूस निकाला जाता है।

Q.राजा अश्वमेध यज्ञ क्यों करते थे?

Ans. कहते हैं कि अश्वमेध यज्ञ ब्रह्म हत्या आदि पापक्षय, स्वर्ग प्राप्ति एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए भी किया जाता था।  कुछ विद्वान मानते हैं कि अश्वमेध यज्ञ एक आध्यात्मिक यज्ञ है जिसका संबंध गायत्री मंत्र से जुड़ा हुआ है।

Q.क्या श्री कृष्ण ने अश्वमेध यज्ञ किया था?

Ans.महाभारत का महायुद्ध समाप्त होने के बाद देश में शांति और सद्भाव का साम्राज्य स्थापित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा से धर्मराज युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया

Q.राजसूय यज्ञ और अश्वमेध यज्ञ में क्या अंतर है?

Ans.राजसूय वैदिक काल का विख्यात यज्ञ है। इसे कोई भी राजा चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए किया करते थे। यह एक वैदिक यज्ञ है जिसका वर्णन यजुर्वेद में मिलता है। इस यज्ञ की विधी यह है की जिस किसी को चक्रवर्ती सम्राट बनना होता था, वह राजसूय यज्ञ संपन्न कराकर एक अश्व (घोड़ा) छोड़ दिया करता था।

Q.अश्वमेध यज्ञ किसकी देखरेख में हुआ?

Ans.राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋषि ने कराया था यज्ञ

Q.अश्वमेध यज्ञ के मस्तक पर कौन सा पत्र बांधा जाता है?

Ans.इसके सिर पर ‘जयपत्र’ बाँधकर छोड़ा जाता था।

Q.अश्वमेध का घोड़ा पकड़ने पर क्या होता था?

Ans.इसके बाद प्रभु श्री राम ने अयोध्या का राज्य संभालने के लिए अश्वमेध यज्ञ किया और घोड़े के गले में लिखा गया कि इस घोड़े को कोई पकड़े अगर कोई घोड़े को पकड़ेगा तो उसे युद्ध करना होगा। … जब उन्होंने यज्ञ का घोड़ा देखा तो उसे पकड़कर बांध लिया। घोड़े के पीछे आए सैनिकों ने दोनों बालकों को घोड़े को छोड़ने के लिए कहा।

Q.कान के कौन से पुत्र ने युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में भाग लिया था?

Ans.इस विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम था बभ्रुवाहन। राजा चित्रवाहन की मृत्यु के बाद बभ्रुवाहन को यहां का राजपाट दिया गया। बभ्रुवाहन ने युधिष्ठिर द्वारा आयोजित किए गए राजसूय यज्ञ में भाग लिया था

Q.कर्ण के कौन से पुत्र ने युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में भाग लिया था?

Ans.वृशसेन, वृषकेतु, चित्रसेन, सत्यसेन, सुशेन, शत्रुंजय, द्विपात, प्रसेन और बनसेन

Q.अश्वमेध यज्ञ कैसे करें?

Ans.सर्वप्रथम एक अयुक्त अश्व चुना जाता था। यज्ञ स्तम्भ में बाँधने के प्रतीकात्मक कार्य से मुक्त कर इसे स्नान कराया जाता था तथा एक वर्ष तक अबन्ध दौड़ने तथा बूढ़े घोड़ों के साथ खेलने दिया जाता था। इसके पश्चात् इसकी दिग्विजय यात्रा प्रारम्भ होती थी। इसके सिर पर जय-पत्र बाँधकर छोड़ा जाता था।

Q.अश्वमेध यज्ञ कितने दिन तक चलता है?

Ans.यज्ञ का प्रारम्भ बसन्त अथवा ग्रीष्म ॠतु में होता था तथा इसके पूर्व प्रारम्भिक अनुष्ठानों में प्राय: एक वर्ष का समय लगता था। इस बीच नगर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और उत्सव होते थे। 3. यज्ञ करने के बाद अश्व को स्वतन्त्र विचरण करने के लिए छोड़ दिया जाता था।

Q.अश्वमेध में कौन सी विभक्ति है?

Ans.1) का कथन है कि जो सब पदार्थो को प्राप्त करना चाहता है, सब विजयों का इच्छुक होता है और समस्त समृद्धि पाने की कामना करता है वह इस यज्ञ का अधिकारी है। इसलिए सार्वीभौम के अतिरिक्त भी मूर्धाभिषिक्त राजा अश्वमेध कर सकता था (आपस्तम्ब श्रौतसूत्र 20। 1। 1।; लाट्यायन 9।

Q.अश्वमेध यज्ञ के घोड़े का क्या नाम था?

Ans.फिर इसे झांकियों की तरह शहर में घुमाया जाता है। इस कर्ण घोड़े को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का दूत माना जाता है। जगमगाती रोशनी और बैंड बाजे के साथ प्रयाग में कर्ण घोड़े के जुलूस निकालने की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। तब से हर वर्ष दशहरे से पहले इसका जुलूस निकाला जाता है।

Q.अश्वमेध का क्या अर्थ है?

Ans.वह यज्ञ जिसमें चक्रवर्ती सम्राट घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बाँधकर भूमंडल भ्रमण के लिए छोड़ता था और घोड़े को रास्ते में रोकने वालों को युद्ध में पराजित कर विश्वविजय करते हुए अंततः उस घोड़े को मार कर उसकी चरबी से हवन करता था

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