सम्पूर्ण महाभारत हिंदी Sampoorna Mahabharat Hindi

Book Summary
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Q. महाभारत का असली नाम क्या है?
Ans. महाभारत का पुराना नाम “जयसहिंता” था इससे पहले इसे भारत महाकाव्य के नाम से जाना भी जाना जाता था। महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक हैं। यह महाकाव्य जयसहिंता, भारत और महाभारत इन 3 नामों से लोकप्रिय हैं। इस ग्रंथ की रचना 3100 ईशा पूर्व की के लगभग मानी जाती है
Q. महाभारत हमें क्या संदेश देती है?
Ans. लड़ाई से डरने वाले मिट जाते हैं : जिंदगी एक उत्सव है, संघर्ष नहीं। लेकिन जीवन के कुछ मोर्चों पर व्यक्ति को लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। जो व्यक्ति लड़ना नहीं जानता, युद्ध उसी पर थोपा जाएगा या उसको सबसे पहले मारा जाएगा। महाभारत में पांडवों को यह बात श्रीकृष्ण ने अच्छे से सिखाई थी
Ans.महाभारत के पर्व
पर्व | शीर्षक | अध्याय एवम श्लोक संख्या |
---|---|---|
१ | आदिपर्व | २२७/७९०० |
२ | सभापर्व | ७८/२५११ |
३ | अरयण्कपर्व | २६९/११६६४ |
४ | विराटपर्व | ६७/२०५० |
Q.कर्ण ने महाभारत युद्ध में अपने सेनापतित्व के प्रथम दिन जिस व्यूह की रचना की थी उसका क्या नाम था?
Ans .इसे ही गरुड़ व्यूह कहते हैं। महाभारत में इस व्यूह की रचना भीष्म पितामह ने की थी
Q.महाभारत में मरने वालों की संख्या कितनी थी?
Ans.आइए आज हम आपके इस सवाल का जवाब देते हैं। महाभारत के स्त्री पर्व के एक प्रसंग में धृतराष्ट्र युधिष्ठिर से युद्ध में मारे गए योद्धाओं की संख्या पूछते हैं। धृतराष्ट्र के इस सवाल का जवाब देते हुए युधिष्ठिर कहते हैं कि, इस युद्ध में 1 अरब 66 करोड़ 20 हजार वीर मारे गए हैं।
Q.महाभारत के सबक यदि हम दुर्योधन की बात करे तो कौन सा सबक ठीक लगता हैं दुर्योधन की तरह?
Ans.जब द्रौपदी के पति उन्हें जुए में हार गए थे और दुशासन चीरहरण करने लगा। तब श्रीकृष्ण ने ही अपनी मित्रता का धर्म निभाया और सखी की लाज बचाई। एक और प्रेरणादायी दोस्ती है कर्ण और दुर्योधन की। जहां कुंति पुत्र कर्ण अपने दोस्त दुर्योधन की खातिर अपने ही भाइयों से लड़ने से भी पीछे नहीं हटे।
द्रोणाचार्य | |
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माता-पिता: | भरद्वाज ऋषि घृतार्ची अप्सरा |
जीवनसाथी: | कृपि |
संतान: | अश्वत्थामा |
Q.अश्वत्थामा कैसे दिखते हैं?
Ans.अश्वत्थामा, महाभारत काल का ऐसा चरित्र है जो आज भी जिंदा है। ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा एक श्राप के कारण अमर है और जंगलों में भटक रहा है। उसके शरीर पर बड़े-बड़े घाव हैं। … एक गलती के कारण अश्वत्थामा को ऐसा श्राप मिला जिसके कारण उसे दुनिया खत्म होने तक जीवन से मुक्ति नहीं मिल पाएगी।
Q.अश्वत्थामा की मृत्यु कब हुई थी?
Ans.अश्वत्थामा की मौत नहीं हुई। कृष्ण के शाप के बाद वह आज भी भटक रहा है..
Q.अश्वत्थामा के पास कौन सी मणि थी?
Ans.रावण ने कुबेर से चंद्रकांत नाम की मणि छीन ली थी। वहीं मणि आजकल बैद्यनाथ मंदिर में विद्यमान है। द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के पास एक चमत्कारिक मणि थी जिसके बल पर वह शक्तिशाली और अमर हो गया था।
Q.महाभारत का कौन सा योद्धा आज भी जिंदा है?
Ans.मयासुर आज भी जिंदा है। अश्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र और रुद्रा का अवतार था। अश्वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। हालांकि इसमें संदेह है कि अश्वत्थामा आज भी जिंदा है या नहीं क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने उसे 3 हजार वर्षों तक सशरीर भटकने का श्राप दिया था।
Q.अभिमन्यु का पूर्व जन्म क्या था?
Ans.अभिमन्यु के बारे में ऐसी कथा है कि वह पूर्वजन्म में भगवान श्रीकृष्ण का शत्रु कालयवन था। कालयवन की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को भगवान श्रीकृष्ण बंदी बनाकर अपने साथ ले आए और एक डब्बे में बंदकर करके रख दिया। … इससे वह गर्भवती हो गई और कलयवन ने अभिमन्यु के रूप में पुनर्जन्म प्राप्त किया।
Q.अश्वत्थामा कौन से मंदिर में पूजा करता है?
Ans.दरअसल, मान्यता है कि कलियुग में अश्वस्थामा कानपुर (Kanpur) में गंगा किनारे रहते हैं. खास बात है कि रोज सुबह वे खेरेश्वर मंदिर (Khereshwar Temple) पर जाकर भगवान शिव की पूजा भी करते हैं.
Q. महाभारत के सबक यदि हम द्रोपदी की बात करे तो कौन सा सबक ठीक लगता हैं द्रोपदी की तरह?
Ans.युद्ध के लिए प्रेरित करना : अपनी चिरहरण के बाद द्रौपदी ने पांडवों से कहा कि यदि तुम दुर्योधन और उनके भाइयों से मेरे अपमान का बदला नहीं लेते हो तो धिक्कार है तुम्हें। द्रौपदी ने पांडवों से कहा कि मेरे केश अब तब तक खुले रहेंगे जब तक कि दुर्योधन के खून से इन्हें धो नहीं लेती।
Q.कौरवों और पांडवों के गुरु कौन थे?
Ans. आगे चलकर कृपी और द्रोणाचार्य को अश्वत्थामा हुए जो चिरंजीवी (अमर) हैं। कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरू थे। इनको सात चिरंजीवियों में वे भी एक माना जाता हैं|
Q.कृपाचार्य के गुरु कौन थे?
Ans.शरद्वान गौतम ने कृप को धनुर्विद्या सिखाई। कृप ही बड़े होकर कृपाचार्य बने और उन्होंने धृतराष्ट्र व पांडु की संतान को धनुर्विद्या और युद्धकौशल की शिक्षा दी।
Q.द्रौपदी किसका अवतार थी?
Ans.अर्जुन को पांडु पुत्र माना जाता है, लेकिन असल में वे इन्द्र और कुंती के पुत्र थे. दानवीर कर्ण को इन्द्र का अंश ही माना जाता है. महाभारत की सबसे जरूरी और शायद सबसे शक्तिशाली स्त्री पात्र रहीं द्रौपदी का जन्म इन्द्राणी के अवतार के रूप में हुआ था.
Q.द्रोपदी क्या करने के लिए नियुक्त की गई *?
Ans.और फिर युधिष्ठिर ने शकुनि के उकसाने पर द्रौपदी को दाँव पर लगाया था, स्वेच्छा से नहीं। अतएव कौरवों को द्रौपदी को दासी कहने का कोई अधिकार नहीं है।” विकर्ण के नीतियुक्त वचनों को सुनकर दुर्योधन के परम मित्र कर्ण ने कहा, “विकर्ण!
Q.द्रौपदी के अपमान पर भीम ने क्या प्रतिज्ञा की?
Ans.जब दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण किया तो उसकी इस हरकत पर भीम ने प्रतिज्ञा की, कि एक दिन मैं दुःशासन की छाती फाड़कर उसका खून पीयूंगा। दूसरी ओर द्रौपदी ने भीम से कहा कि जब तक उसकी छाती का खून नहीं लाओगे, तब तक मैं अपने बाल नहीं बांधूंगी। … इसी दिन भीम दुःशासन का वध कर उसकी छाती चीर कर रक्त पीता है।
Q.द्रौपदी कहाँ की राजकुमारी थी?
Ans.इस महाकाव्य के अनुसार द्रौपदी पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री है । द्रौपदी पंच-कन्याओं में से एक हैं जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है। कृष्णेयी, यज्ञसेनी, महाभारती, सैरंध्री, पांचाली, अग्निसुता आदि अन्य नामो से भी विख्यात है। द्रौपदी का विवाह अर्जुन से हुआ था।
Q. भरी सभा में करण से जाति कौन पूछता है?
Ans.कृपाचार्य भरी सभा मे कर्ण से उनकी जाती पूछते है |
Q.कुंती का पहले क्या नाम था?
Ans. सूर्य पुत्र कर्ण की मां कुंती को राजा कुंतीभोज ने गोद लिया था। उनका असली नाम पृथा था।
Q.कौरव कौन थे ?
Ans.कौरव महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे। ये संख्या में 100 थे। पांडव भी हस्तिनापुर के पूर्व नरेश पाण्डु के पुत्र थे। धृतराष्ट्र के बड़े भाई पाण्डु थे।
Q.भीष्म पितामह के गुरु कौन थे?
Ans.भीष्म पितामह के गुरु भगवान परशुराम थे। हिन्दू धर्म के अनुसार,परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। क्षत्रिय धर्म का होने के बावजूद भगवान परशुराम ने भीष्म को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने भीष्म को शस्त्र कला सिखाई थी
Q.कर्ण ने गुरु भक्ति का परिचय कैसे दिया?
Ans.एक बार कर्ण की गोद में सिर रखकर उनके गुरु सोए हुए थे। कर्ण को एक कीट ने काटा किंतु कर्ण अपनी जगह से किंचित भी ना हिले। उन्होंने रक्त बह जाने दिया किंतु अपने गुरु की नींद खराब नहीं होने दी। इस प्रकार उसने अपनी गुरु भक्ति का परिचय दिया।
Q.आचार्य द्रोण गुरु दक्षिणा में क्या मांगा था?
Ans.द्रोण ने कहा, मुझे वचन दो कि यदि मैं भी किन्हीं परिस्थितियों में वशीभूत होकर धर्मपक्ष के विरुद्ध रणक्षेत्र में खड़ा दिखाई दूं, तो तुम मेरा भी डटकर मुकाबला करने को उद्यत दिखाई दोगे। उस समय मुझे गुरु के रूप में न देखकर अधर्म पक्ष का मानकर मुझ पर प्रहार करने में कोई कसर नहीं रखोगे। यही मेरी गुरु दक्षिणा है।
Q.पांडवों में सबसे बड़ा भाई कौन था?
Ans.पाण्डव महाभारत के मुख्य पात्र हैं। पाण्डव पाँच भाई थे – युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव।
Q.कर्ण कहाँ का राजा बना था?
Ans.महाभारत में अंगदेश का वर्नन मिलता है जिसके अनुसार यह भारत के पूर्वी भाग में स्थित था। महाभारत में सूर्य देवता का पुत्र कर्ण अंगदेश का राजा था।
Q.लाख के घर को ध्यान से देखने पर युधिष्ठिर को क्या पता लग गया?
Ans.ध्यान से देखने पर युधिष्ठिर को पता चल गया कि यह घर जल्दी आग लगनेवाली चीज़ों से बना हुआ है।
Q.कृपाचार्य के पुत्र का नाम क्या था?
Ans.पिता-माता दोनों ने इन्हें जंगल में छोड़ दिया जहाँ महाराज शांतनु ने इनको देखा। इनपर कृपा करके दोनों को पाला पोसा जिससे इनके नाम कृप तथा कृपी पड़ गए। इनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ और उनके पुत्र अश्वत्थामा हुए।
Q.कृपाचार्य अमर कैसे हुए?
Ans.उस जंगल में आखेट के लिए पहुंचे महाराज शांतनु ने उन बच्चों को देखा तो वह अपने महल में ले आए। जहां उनका नाम कृप और कृपी रखा गया। बाद में यही कृप, कृपाचार्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और उनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ। आगे चलकर कृपी और द्रोणाचार्य को अश्वत्थामा हुए जो चिरंजीवी (अमर) हैं।
Q.महाभारत के बाद कृपाचार्य का क्या हुआ?
Ans.कृपाचार्य : महाभारत के युद्ध में कृपाचार्य बच गए थे, क्योंकि उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान था। कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। वे आज भी जीवित हैं।
Q.द्रोपदी पिछले जन्म में कौन थी?
Ans. द्रौपदी पूर्वजन्म में एक विधवा ब्राह्मणी थी। इनकी इच्छा थी कि उन्हें अगले जन्म में सर्वगुण संपन्न पति प्राप्त हो और वह सदा सुहागन रहे। भगवान शिव की तपस्या से इन्हें पांच पति प्राप्त होने का वरदान मिला और यह पांडवों की पत्नी बनकर सदा सुहागन रहीं।
Q.द्रोपदी कृष्ण की क्या लगती थी?
Ans.द्रौपदी का नाम कृष्णा इसलिए था क्योंकि वह भी सांवली थीं। भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी अच्छे मित्र थे। द्रौपदी उन्हें सखा तो कृष्ण उन्हें सखी मानते थे। कृष्ण ने द्रौपदी के हर संकट में साथ देकर अपनी दोस्ती का कर्तव्य निभाया था।
Q.अभिमन्यु किसका अवतार है?
Ans.चंद्रमा के इस शर्त के आगे सभी देवता विवश हुए और फिर चंद्रमा के पुत्र वर्चा ने महारथी अभिमन्यु के रूप में जन्म लिया एवं महाभारत के चक्रव्यूह में अपना पराक्रम दिखाते हुए अलप आयु में वीरगति को प्राप्त हुए यही कारण था की श्री कृष्ण ने अभिमन्यु की महाभारत के युद्ध में जान नहीं बचाई थी।
Q.द्रोपदी का अज्ञातवास में क्या नाम था?
Ans.उनके नाम ये हैं- पाञ्चाल, चेदि, मत्स्य, शूरसेन, पटच्चर, दशार्ण, नवराष्ट्र, मल्ल, शाल्व, युगन्धर, विशाल कुन्तिराष्ट्र, सौराष्ट्र तथा अवन्ती।
Q.खांडवप्रस्थ का वर्तमान नाम क्या है?
Ans.महाभारत में जिस इंद्रप्रस्थ और खांडवप्रस्थ का जिक्र किया है वह वर्तमान में भारत राजधानी दिल्ली है. महाभारत काल का वृंदावन आज भी इसी नाम से जाना जाता है.
Q.मत्स्य देश में जाकर पांडवों ने क्या क्या रूप धारण किया?
Ans.अर्जुन तथा भीम ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं को दांव में हरा चुका है, वह किसी अन्य वस्तु को दांव पर रख ही नहीं सकता। वनवास के बारहवें वर्ष के पूरे होने पर पाण्डवों ने अब अपने अज्ञातवास के लिये मत्स्य देश के राजा विराट के यहाँ रहने की योजना बनाई। उन्होंने अपना वेश बदला और मत्स्य देश की ओर निकल पड़े।
Q.द्रोपदी पांच पांडव कैसे बनी?
Ans.सर्वगुण संपन्न होने के कारण उसे योग्य वर नहीं मिल रहा था इसलिए उसने भगवान शंकर की तपस्या की और तब शंकरजी प्रकट हुए। उस समय द्रौपदी ने हड़बड़ाहट में पांच बार वर मांगे इसलिए उसे शिवजी के वरदान के कारण इस जन्म में पांच पति प्राप्त हुए। जब भगवान शिव ने द्रौपदी को पांच पति प्राप्त होने का वरदान दिया था.
Q.द्रौपदी की मृत्यु कैसे हुई?
Ans.भारत यात्रा करने के बाद मोक्ष प्राप्त करने के लिए पांडव द्रौपदी के साथ हिमालय की गोद में चले गए। वहां मेरु पर्वत के पार उन्हें स्वर्ग का रास्ता मिला। पांचों पांडवों के साथ द्रौपदी और एक कुत्ता उनके साथ यात्रा पर था। … इसी यात्रा के दौरान द्रौपदी की मृत्यु हो गई थी।
Q.विदुर कौन था ?
Ans.विदुर (अर्थ : कुशल, बुद्धिमान अथवा मनीषी) हिन्दू ग्रन्थ महाभारत के केन्द्रीय पात्रों में से एक व हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री, कौरवो और पांडवो के काका और धृतराष्ट्र एवं पाण्डु के भाई थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है।
Q.भीम ने भरी सभा में क्या शपथ ली?
Ans.भीम ने भरी सभा में शपथ ली कि जब तक वह भरत-वंश पर बट्टा लगानेवाले इस दुरात्मा दुःशासन की छाती चीर न लेगा , तब तक इस संसार को छोड़कर नहीं जाएगा। … उत्तर- दुःशासन ज्यों-ज्यों द्रौपदी के वस्त्र पकड़कर खींचता गया त्यों-त्यों वस्त्र भी बढ़ता गया। अंत में खींचते-खींचते दुःशासन की दोनों भुजाएँ थक गई।
Q.भीष्म ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
Ans.भीष्म में अपने पिता शान्तनु का सत्यवती से विवाह करवाने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी | अपने पिता के लिए इस तरह की पितृभक्ति देख उनके पिता ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दे दिया था | इनके दूसरे नाम गाँगेय, शांतनव, नदीज, तालकेतु आदि हैं।
Q.द्रौपदी के गुरु कौन थे?
Ans.द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था। … शंकर ने कहा कि अगले जन्म में उसके पांच भरतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पांच बार दोहरायी थी। जब पाण्डव तथा कौरव राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो उन्होंने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा देना चाहा।
Q.श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज कैसे रखी थी?
Ans.दुशासन चीर खींचते खींचते थक गया, लेकिन कृष्ण की कृपा से साड़ी की लंबाई कम ही नहीं पड़ी। वैसे ही बचाई जैसा कोई भी भाई अपने बहन की लाज बचाता। … द्रौपदी से ये देखा ना गया और अपनी साड़ी का किनारा फाड़ते हुए उन्होंने श्रीकृष्ण की चोट पर कपड़ा बांध दिया।
Q.द्रोपदी ने क्या श्राप दिया?
Ans.संतान सुख नहीं मिला कहा जाता है कि ऋषि के श्राप के फलस्वरूप ही द्वापर युग में पांचों विश्व देवों ने द्रौपदी के गर्भ से जन्म लिया। श्राप के कारण ही उन्हें लंबी आयु नहीं मिली और इतने शक्तिशाली पांच पिता और श्री कृष्ण जैसे महानायक का साथ मिलने के बावजूद वे सभी महाभारत युद्ध में मारे गए।
Ans.समय आने पर उसके गर्भ से कवच-कुंडल धारण किए हुए एक पुत्र उत्पन्न हुआ। … राधा ने उस बालक का अपने पुत्र के समान पालन किया। उस बालक के कान बहुत ही सुन्दर थे इसलिए उसका नाम कर्ण रखा गया। इस सूत दंपति ने ही कर्ण का पालन-पोषण किया था इसलिए कर्ण को ‘सूतपुत्र‘ कहा जाता था तथा राधा ने उसे पाला था इसलिए उसे ‘राधेय’ भी कहा जाता था।
Ans.1. भीष्म पितामह 2. गुरु द्रोणाचार्य
3. कर्ण
Q.द्रोणाचार्य ने राजकुमार से गुरु दक्षिणा में क्या मांगा?
Ans.जब कौरव व पांडवों की शिक्षा पूरी हो गई तब द्रोणाचार्य ने उनसे गुरुदक्षिणा ने राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहा। पहले कौरवों ने राजा द्रुपद पर आक्रमण कर उसे बंदी बनाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
Q.द्रोणाचार्य ने पांडवों से क्या गुरु दक्षिणा मांगी?
Ans.कौरव व पांडव की शिक्षा पूरी होने पर गुरु द्रोणाचार्य ने कहा कि तुम पांचाल देश के राजा द्रुपद को बंदी बनाकर मेरे पास लाओ। राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाना ही मेरी गुरुदक्षिणा है।
Q.पांडवों के वंशज कौन थे?
Ans.जन्मेजय के बाद क्रमश: शतानीक, अश्वमेधदत्त, धिसीमकृष्ण, निचक्षु, उष्ण, चित्ररथ, शुचिद्रथ, वृष्णिमत सुषेण, नुनीथ, रुच, नृचक्षुस, सुखीबल, परिप्लव, सुनय, मेधाविन, नृपंजय, ध्रुव, मधु, तिग्म्ज्योती, बृहद्रथ और वसुदान राजा हुए जिनकी राजधानी पहले हस्तिनापुर थी तथा बाद में समय अनुसार बदलती रही। बुद्धकाल में शत्निक और उदयन हुए।
Q.अर्जुन और कर्ण में कौन श्रेष्ठ था?
Ans.दानवीरता के लिए प्रसिद्ध कर्ण को महाभारत युद्ध में सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में से एक माना जाता है. इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि महाभारत के कर्ण अपने प्रतिद्वंदी अर्जुन से श्रेष्ठ धनुर्धर थे, जिसकी तारीफ भगवान श्रीकृष्ण ने भी की थी.
Q.कर्ण का जन्म कब हुआ था?
Ans.कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले ही हो गया था। इसलिए, लाेकलाज के डर से कुंती ने कर्ण को छोड़ दिया था, लेकिन कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले कैसे हो गया, इसके पीछे भी एक कहानी है। बात उस समय की है जब कुंती का विवाह नहीं हुआ था और वह सिर्फ राजकुमारी थीं।
Q.लाख के घर से पांडवों की रक्षा कैसे हुई?
Ans.भीम ने स्वयं लाख के भवन में जगह-जगह आग लगा दी। पुरोचन का घर भी जलकर भस्म हो गया और जलकर मर गया। पांडव सुरक्षित बचकर निकल गए। पुरोचन उस महल में आगजनी करता उससे पहले पांडवों ने ही आग लगाकर पुरोचन के षड्यंत्र को असफल कर दिया।
Q.कृपाचार्य चिरंजीवी क्यों है?
Ans.गौतम ऋषि के पुत्र शरद्वान और शरद्वार के पुत्र कृपाचार्य महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे और वह जिंदा बच गए 18 महायोद्धाओं में से एक थे। लेकिन उन्हों चिरंजीवी रहने का वरदान भी था। … वह सरकंडा दो भागों में विभक्त हो गया जिसमें से एक भाग से कृप नामक बालक उत्पन्न हुआ और दूसरे भाग से कृपी नामक कन्या उत्पन्न हुई।
Q.कृतवर्मा की मृत्यु कैसे हुई?
Ans.’द्वैपायन सरोवर’ पर जाकर इसी ने दुर्योधन को युद्ध के लिए उत्साहित किया था। निशाकाल के सौप्तिक युद्ध में कृतवर्मा ने अश्वत्थामा का साथ दिया तथा शिविर से भागे हुए योद्धाओं का वध किया।, और पांडवों के शिविर में आग लगा दी थी। ‘मौसल युद्ध’ में सात्यकि के हाथों कृतवर्मा का वध हुआ।
Q.कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद कौरवों की पत्नियों का क्या हुआ?
Ans. वें दिन बेटे को अभिमन्यु ने मार दिया और भगवान कृष्ण के पुत्र सांबा द्वारा बेटी का अपहरण कर लिया गया और बाद में उसने उससे शादी कर ली। पांडवों के युद्ध जीतने की खबर सुनने के बाद धृतराष्ट्र और गांधारी युद्ध के मैदान में जाने के लिए निकले जहां उनके सभी पुत्र और कुरु योद्धा मृत अवस्था में पड़े थे।
Q.द्रोपदी स्वयंवर में अर्जुन की क्या भूमिका रही समझाइए?
Ans.पांडवों की पत्नी बनना स्वीकार करना : अर्जुन ने स्वयंवर की प्रतियोगिता को जीत लिया था लेकिन किन्हीं भी परिस्थितियों में द्रौपदी यदि पांचों पांडवों की पत्नी बनना स्वीकार नहीं करती तो आज इतिहास कुछ ओर होता। द्रौपदी कुंति के कहने या स्वयंवर के बाद युधिष्ठिर और वेद व्यासजी के कहने पर पांचों से विवाह करना स्वीकार किया था।
Q.दुर्योधन की कितनी पत्नियां थी?
Ans.
दुर्योधन | |
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माता-पिता: | धृतराष्ट्र (पिता) गांधारी (माता) |
भाई-बहन: | दुःशासन विकर्ण, दुःशला आदि अन्य कौरव |
जीवनसाथी: | भानुमती |
संतान: | लक्ष्मण कुमार |
Q.अभिमन्यु का जन्म कैसे हुआ?
Ans.अभिमन्यु के बारे में ऐसी कथा है कि यह पूर्वजन्म में भगवान श्रीकृष्ण के शत्रु थे लेकिन इनका जन्म भगवान शिव के वरदान स्वरूप हुआ था। ऋषि शेशिरायण ने भगवान शिव से वरदान में एक ऐसा पुत्र प्राप्त किया था जिसे कोई पराजित नहीं कर सकता था। शेशिरायण ऋषि का यह पुत्र कालयवन कहलाया।
Q.पांडव को कितने वर्ष का वनवास हुआ था?
Ans.इस हार के बाद पांडवों को 12 साल के लिए वनवास और 1 साल का अज्ञातवास मिला था। इस समय पांडवों ने खेल की शर्त को मानकर सबकुछ सह लिया लेकि अंदर ही अंदर बदले की आग में जल रहे थे । जब पांडव वन को जाने लगे तब विदुर ने जो धृतराष्ट्र से कहा वह आने वाले युद्ध के संकेत थे। इस समय द्रौपदी और पांडवों ने जो किया वह विनाश का सूचक था।
Q.पांडवों ने अपना अज्ञातवास कहां और कैसे बिताया ?
Ans.द्यूत में पराजित होने पर पांडवों को बारह वर्ष जंगल में तथा तेरहवाँ वर्ष अज्ञातवास में बिताना था। … अपने असली वेश में रहने पर पांडवों के पहचाने जाने की आशंका थी, इसीलिए उन लोगों ने अपना नाम बदलकर मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (आधुनिक बैराट) में विराटनरेश की सेवा करना उचित समझा।
Q.पाण्डव राजा विराट के यहाँ क्यों गये ?
Ans.पांडवों को बारह वर्ष के वनवास की अवधि की समाप्ति कर एक वर्ष अज्ञातवास करना था। वे विराट नगर के लिए चल दिए। … युधिष्ठिर ने बताया कि मैं राजा विराट के यहाँ ‘कंक’ नाम धारण कर ब्राह्मण के वेश में आश्रय लूँगा।
Q.खांडवप्रस्थ का दूसरा नाम क्या था?
Ans. हताश इंद्रदेव के पास विकल्प नहीं था। आखिर वह देवलोक लौट गए। इंद्र पर मिली शानदार विजय के चलते पांडवों ने खांडवप्रस्थ का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रख दिया।
Q.पांडवों ने इंद्रप्रस्थ में कितने दिन राज किया?
Ans. पांडवों ने इंद्रप्रस्थ पर 36 वर्ष राज किया।
Q.वर्तमान में इन्द्रप्रस्थ कहाँ स्थित है?
Ans.इंद्रप्रस्थ (इंद्रदेव का शहर) (पालि : इंद्रप्रस्थ, संस्कृत: इन्द्रेप्रस्था ), प्राचीन भारत के राज्यों में से एक था। महान भारतीय महाकाव्य महाभारत के अनुसार यह पांडवों की राजधानी थी। यह शहर यमुना नदी के किनारे स्थित था, जो कि भारत की वर्तमान राजधानी दिल्ली में स्थित है।
Q.पांडवों ने कौन से जंगल में 12 साल बिताए थे?
Ans.सबसे अधिक समय बिताया सरिस्का के जंगल में
काम्यक वन के बाद पांडव आधुनिक सरिस्का के जंगलों की ओर गए। अनुमान है कि उन्होंने कई वर्ष वहां बिताए।
Q.पांडवों ने तेरहवाँ वर्ष कहाँ बिताया?
Ans.अज्ञातवास का अर्थ है बिना किसी के द्वारा जाने गए किसी अपरिचित स्थान में रहना। द्यूत में पराजित होने पर पांडवों को बारह वर्ष जंगल में तथा तेरहवाँ वर्ष अज्ञातवास में बिताना था।
Q.महाभारत के वन पर्व के अनुसार आकाश से भी ऊँचा कौन है?
Ans. आकाश से भी ऊंचा पिता इसलिए होता है क्योंकि वह आपके लिए एक छत्र की भूमिका निभाता है।
Q.पांडवों का क्या हाल हुआ और क्यों?
Ans.महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों के जीत हुई। युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा घोषित किया गया। उनके के नेतृत्व में पांडवों का राज पूरे 36 साल चला। युधिष्ठिर के राजतिलक के समय गांधारी ने कौरवों के नाश के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए शाप दिया कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है, वैसे ही यदुवंश का भी नाश होगा
Q.अभिमन्यु किसका बेटा है?
Ans.भारतवर्ष के प्राचीन काल की ऐतिहासिक कथा महाभारत के एक महत्त्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पूरु कुल के राजा व पांडवों में से अर्जुन के पुत्र थे। कथा में उनका छल द्वारा कारुणिक अंत बताया गया है।
Q.पांडु और धृतराष्ट्र के पिता कौन थे?
Ans.
पाण्डु | |
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व्यवसाय: | क्षत्रिय |
राजवंश: | कुरु वंश |
माता-पिता: | विचित्रवीर्य (पिता), अम्बालिका (माता) |
भाई-बहन: | धृतराष्ट्र, विदुर |
Q.द्रौपदी ने पांचों पांडवों से शादी क्यों की?
Ans.दरअसल हर बार पत्नी धर्म निभाने में द्रौपदी इस वजह से समर्थ थीं क्योंकि द्रोपदी को यह वरदान मिला था कि वह प्रतिदिन कन्या भाव यानी कौमार्य को प्राप्त कर लेंगी। इस तरह से द्रौपदी अपने पांचों पतियों को कन्या भाव में ही प्राप्त हुई थीं।
Q.द्रौपदी की मृत्यु सबसे पहले क्यों हुई?
Ans.इसी दौरान द्रौपदी लड़खड़ाकर गिर पड़ी। भीम ने पूछा कि उसने कभी कोई पाप नहीं किया हो तो ये कैसे गिर गईं इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि ये हम पांचों में से अर्जुन को सबसे ज्यादा प्रेम करती थी, इतना कहकर वे उन्हें बिना देखे आगे बढ़ गए। इसी यात्रा के दौरान द्रौपदी की मृत्यु हो गई थी। … सबसे पहले इसमें द्रौपदी की मृत्यु हुई थी।
Q.द्रौपदी के कितने पुत्र थे?
Ans.द्रौपदी ने एक-एक वर्ष के अंतराल से पांचों पांडव के एक-एक पुत्र को जन्म दिया। इस तरह द्रौपदी के पांच पुत्र थे। जानिए द्रौपदी के पुत्र और पांडवों के अन्य पुत्र एवं पत्नियों के नाम। * द्रौपदी से जन्मे युधिष्ठिर के पुत्र का नाम प्रतिविन्ध्य था।
Q.क्या द्रौपदी कर्ण से प्यार करती थी?
Ans.महारथी कर्ण को था द्रौपदी से प्रेम
लेकिन महारथी कर्ण को द्रौपदी का निडर स्वभाव बहुत पसंद था. द्रौपदी अपने सखियों के साथ भ्रमण करने के लिए आया करती थी. द्रौपदी को देखते ही कर्ण को भी उनसे प्रेम हो गया
Q.विदुर कौन थे पांडवों बचाने के लिए उन्होंने क्या किया?
Ans.विदुर ऋषि व्यास के पुत्र थे। विदुर पांडवों के सलाहकार थे और उन्होंने दुर्योधन द्वारा रची गई साजिश से कई मौके पर उन्हें मृत्यु से बचाया था। … जब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के शांतिदूत के रूप में हस्तिनापुर आए, तो वे विदुर के घर पर रुके, क्योंकि कृष्ण जानते थे कि विदुर ठीक से उनके महल में उनकी देखभाल करेंगे।
Q.कृष्ण द्रौपदी की लाज कब तथा किसने रखी?
Ans.दुर्योधन के कहने पर दुशासन द्रौपदी को घसीटकर लाता है। उसका चीरहरण करता है। भगवान श्रीकृष्ण की वंदना कर द्रौपदी लाज बचाने की विनती करती है। करुणाकर श्रीकृष्ण की कृपा से चीर (साड़ी) इतनी बड़ी हो गई कि कौरव खींच ही नहीं सके।
Q.द्रोपदी ने कुत्ते को क्या श्राप दिया था?
Ans.कक्ष में द्रोपदी और दूसरे पांडव के साथ थी। ये देख द्रौपदी काफी लज्जित हो गई। चरण पादुकाओ का पता लगाया तो कुत्ता पादुकाओं के साथ झाड़ियों में खेल रहा था। यह देखकर द्रोपदी को बहुत गुस्सा आया और कुत्ते को श्राप दे दिया कि तुम हमेशा खुले में सहवास करोगे, और कुत्ते आज भी खुले में सहवास करते हैं.
Q.द्रोपदी चीर हरण के बाद क्या हुआ?
Ans.विकर्ण धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक था. … द्रोपदी चीरहरण का विरोध करने के बाद भी जब महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ तो विकर्ण ने भाई धर्म का पालन करते हुए कौरवों की तरफ से पांडवों से युद्ध किया. विकर्ण का भीम ने वध किया था, जिसका भीम को बहुत अफसोस हुआ था.
Q.द्रोपदी स्वयंवर में अर्जुन की क्या भूमिका रही समझाइए?
Ans.पांडवों की पत्नी बनना स्वीकार करना : अर्जुन ने स्वयंवर की प्रतियोगिता को जीत लिया था लेकिन किन्हीं भी परिस्थितियों में द्रौपदी यदि पांचों पांडवों की पत्नी बनना स्वीकार नहीं करती तो आज इतिहास कुछ ओर होता। द्रौपदी कुंति के कहने या स्वयंवर के बाद युधिष्ठिर और वेद व्यासजी के कहने पर पांचों से विवाह करना स्वीकार किया था।
Q.द्रौपदी स्वयंवर में लक्ष्य भेदन करने में कौन सफल रहा?
Ans.आपको स्तम्भ के नीचे रखे हुए तैलपात्र में मछली के प्रतिबिम्ब को देखते हुए बाण चलाकर मछली के नेत्र को लक्ष्य बनाना है। मछली के नेत्र का सफल भेदन करने वाले से मेरी बहन द्रौपदी का विवाह होगा।
Q.श्री कृष्ण ने द्रौपदी की सहायता कैसे की थी ?
Ans.द्रौपदी उन्हें सखा तो कृष्ण उन्हें सखी मानते थे। … इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद देकर कहा था कि एक दिन मैं अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करूंगा। इन कर्मों की वजह से श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी साड़ी को इस पुण्य के बदले ब्याज सहित इतना बढ़ाकर लौटा दिया और उनकी लाज बच गई।
Q.सूत जाति कौन सी है?
Ans.सूत प्राचीन भारतीय वर्ण-व्यवस्था के अन्तर्गत एक जाति का नाम है। इसे वर्णसंकर जाति के रूप में मान्यता प्राप्त है।
Q.कुंती का जन्म कैसे हुआ?
Ans.शूरसेन के फुफेरे भाई कुंतीभोज की कोई सन्तान नहीं थी, इसलिए शूरसेन ने कुंतीभोज को वचन दिया कि उनकी पहली संतान को उन्हें गोद दे देंगे. फलस्वरूप पृथा शूरसेन की पहली पुत्री थी जिसे कुंतीभोज ने गोद लिया था. जिसके बाद पृथा का नाम कुंती पड़ गया.
Q.कुंती का कितना पुत्र था?
Ans.कुंती महाराज पांडु की पत्नी थी। कुंती के विवाह के पश्चात 3 पुत्र हुए जिन्हें सारा संसार पांडव के नाम से जानता है, परंतु कुंती के विवाह के पूर्व सूर्य देव की आशीर्वाद से कर्ण नामक पुत्र भी हुआ जिसे संसार सूत पुत्र के नाम से जानता है
Q.कौरव कैसे पैदा हुए?
Ans.गान्धारी ने वेद व्यास जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर लिया। गर्भ धारण के पश्चात् दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब पुत्र का जन्म नहीं हुआ तो क्षोभवश गान्धारी ने अपने पेट में मुक्का मार कर अपना गर्भ गिरा दिया। योगबल से वेद व्यास ने इस घटना को तत्काल जान लिया।
Q.कौरव और पांडवों का क्या रिश्ता था?
Ans.कौरव महाभारत में हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र थे। ये संख्या में 100 थे। पांडव भी हस्तिनापुर के पूर्व नरेश पाण्डु के पुत्र थे। धृतराष्ट्र के बड़े भाई पाण्डु थे।
Q.कौरव पांडव कौन जाति के थे?
Ans.गंगा पुत्र भीष्म के पिता थे शांतनु, भीष्म ने अपने पिता का विवाह करवाया था सत्यवती से
- विवाह के बाद गंगा जब भी किसी संतान को जन्म देती, उसे तुरंत नदी में बहा देती थी। …
- गंगा ने कहा राजन् आज आपने अपनी संतान के लिए मेरी शर्त को तोड़ दिया। …
- कुछ वर्षों बाद गंगा उसे लौटाने आईं।
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