भागवदगीता Bhagavad Geeta

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Q.गीता में क्या क्या लिखा है?

Ans.गीता के आदर्शों पर चलकर मनुष्य न केवल खुद का कल्याण कर सकता है, बल्कि वह संपूर्ण मानव जाति की भलाई कर सकता है

  • 1- क्रोध पर नियंत्रण …
  • 2 नजरिया से बदलाव …
  • 3- मन पर नियंत्रण आवश्यक …
  • 4- आत्म मंथन करना चाहिए …
  • 5- सोच से निर्माण …
  • 6- कर्म का फल …
  • 7- मन को ऐसे करें नियंत्रित …
  • 8- सफलता प्राप्त करें
Q.गीता कब पढ़नी चाहिए?
Ans.जैसे पूजा-पाठ और जाप के लिए सुबह का समय सर्वोत्तम रहता है उसी प्रकार से गीता को भी सुबह के समय पढ़ना चाहिए। गीता बहुत ही पवित्र ग्रंथ है। इसे कभी भी गंदे हाथों से न छुएं। सुबह उठकर स्नानदि करने के पश्चात गीता का पाठ करें।
Q.भगवत गीता की कीमत कितनी है?
Ans.यानि कि भगवत गीता की एक प्रति का दाम 37,950 रूपये यानि क़रीब 38,000 रूपये है. आरटीआई के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक तन्वी स्टेशनर्स नाम के एक दुकान से इन 10 प्रतियों की खरीद की गई है.
Q.गीता कितने प्रकार की है?
Ans.लेकिन, क्या आपको पता है कि सिर्फ भगवत गीता नहीं नहीं बल्क‍ि 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के भगवत गीता उपलब्ध हैं. श्रीमद्भगवत गीता के अलावा ये गीता भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो असल में गीता का ही अलग अलग रूप हैं. जो असल में ज्ञान तत्व को दर्शाती हैं.
Q.गीता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
Ans.दुनिया में बहुत से धार्मिक किताबें हैं जो धर्म के मार्ग पर ले जाने की प्रेरणा देती हैं परंतु भागवत गीता एक ऐसा किताब है सिर्फ धर्म ही नही बल्कि अपने मन, शरीर, बुद्धि इन सभी को नियंत्रण करने के लिए शिक्षा प्राप्त होती हैं । भागवत गीता में हमें वह शिक्षा मिलती हैं जहां अन्याय के विरुद्ध आप स्वयं लड़ सकते है ।
Q.भगवत गीता का साहित्यिक अर्थ क्या है?
Ans.इसका मतलब यह है कि आर्यभट्ट जी की गणना अनुसार श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान 5154 वर्ष पूर्व दिया था। प्रश्न. भगवान ने किस दिन और किस तिथि को गीता सुनाई? उत्तर –भगवान श्रीकृष्ण ने मोक्षदा एकादशी (रविवार) के दिन उन्हें श्रीमदभगवद्गीता का महान और सार्वकालिक उपदेश दिया था।
Q.गीता के अनुसार धर्म क्या है?
Ans.अर्थात गीता का पहला शब्द धर्म और अंतिम शब्द मम है । … इस प्रकार धर्म का तात्पर्य यह है कि वह जो किसी वस्तु का अस्तित्व प्रकट करता है । जैसे सूर्य का धर्म प्रकाश है अग्नि का धर्म उष्णता है । धर्म का अर्थ केवल साधुता या नैतिकता नहीं है वरन अपने सच्चे स्वरूप को पहचान उसी के अनुरूप कार्य करना है ।
Q.गर्भ गीता पढ़ने से क्या होता है?

Ans.गर्भावस्था के दौरान भागवत गीता सुनने के फायदे

यदि मां का व्यवहार सकारात्मक रहता है, तो मां के शरीर में सकारात्मक बदलाव होते हैं। सकारात्मकता के कारण वह खुश रहती है। उसके खुश रहने के कारण गर्भ में पल रहा शिशु भी स्वस्थ और खुश रहने लगता है। कहने का मतलब यह है कि भागवत गीता सुनने से महिला में सकारात्मक विकसित होती है।

Q.भगवत गीता के लेखक कौन है?
Ans.वेदव्यास
Q.भगवत गीता कब और किसने लिखी?
Ans.कब और किसने की गीता की रचना !! हिन्दू ग्रंथ महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं और गीता महाभारत का ही एक हिस्सा है। माना जाता है कि चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में गीता की रचना की गई थी।
Q.भगवत गीता कहाँ से लिया गया है?
Ans.गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है।
Q.भगवत गीता किसकी देन है?
Ans.सर्वपल्ली राधाकृष्ण के अनुसार, गीता की रचना का श्रेय, भगवान वेदव्यास को दिया जाता है जो महाभारत के पौराणिक संकलनकर्ता हैं।
Q.भगवत गीता कितने वर्ष पुरानी है?
Ans.इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है। उनकी मृत्यु एक बहेलिए का तीर लगने से हुई थी। तब उनकी तब उनकी उम्र 119 वर्ष थी। इसके मतलब की आर्यभट्टर के गणना अनुसार गीता का ज्ञान 5154 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था
Q.श्री भागवत में कितने भाग है?
Ans.साध्वीश्री ने बताया कि भागवत पुराण में 18000 श्लोक तथा 12 स्कंध हैं
Q.गीता नाम का अर्थ क्या होता है?

Ans.गीता नाम का मतलब – Gita ka arth

गीता नाम बहुत सुंदर और आकर्षक माना जाता है। इतना ही नहीं इसका मतलब भी बहुत अच्छा होता है। आपको बता दें कि गीता नाम का अर्थ हिंदू, गीत, कविता, भगवद गीता, दर्शन और नैतिकता पर प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक ग्रंथ की पवित्र पुस्तक होता है।

Q.गीता राशि कौन सी है?
Ans.गीता नाम की लड़कियों की राशि कुंभ होती है।
Q.कृष्ण के अनुसार धर्म क्या है?
Ans.श्रीकृष्ण ने गुरू द्रोण का अभिवादन करते हुए कहा ‘आपका जीवन सदैव ही दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत रहा है. लेकिन जब धर्म को चुनने का समय आया तो आपने पुत्र मोह में पड़कर धर्म नहीं बल्कि चरित्रों (लोगों) का चुनाव किया. आपने अपने शिष्यों को कुशल शिक्षा तो दी लेकिन चरित्र और धर्म का ज्ञान नहीं दिया.
Q.महाभारत के अनुसार धर्म क्या है?
Ans.साधारण शब्दों में धर्म के बहुत से अर्थ हैं जिनमें से कुछ ये हैं- कर्तव्य, अहिंसा, न्याय, सदाचरण, सद्-गुण आदि। धर्म का शाब्दिक अर्थ होता है, ‘धारण करने योग्य’ सबसे उचित धारणा, अर्थात जिसे सबको धारण करना चाहिये।
Q.गीता के पहले अध्याय में क्या लिखा है?
Ans.पहला अध्याय : गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोकों द्वारा अर्जुन की मन: स्थिति का वर्णन किया गया है कि किस तरह अर्जुन अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करने से डरते हैं और किस तरह भगवान कृष्ण उन्हें समझाते हैं।
Q.गीता हमें क्या सिखाती है?
Ans.भगवत गीता हमें सिखाती है कि व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म के ऊपर ध्यान देना चाहिए और कर्म में करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि जो कर्म हम कर रहे हैं वह हम सब लौटकर जरूर आएंगे. … भगवत गीता हमें सिखाती है कि यदि जीवन में कोई काम शुरू कर दें तो उस काम को पूरा करके ही व्यक्ति को रुकना चाहिए.
Q.गीता के अनुसार जीवन क्या है?
Ans.गीता में लिखा है बिना कर्म के जीवन बना नहीं रह सकता। कर्म से मनुष्य को जो सिद्धि प्राप्त हो सकती है, वह तो संन्यास से भी नहीं मिल सकती। आजीविका| काम कैसा चुनना चाहिए? … व्यक्ति को अपने स्वभाव के अनुसार काम-आजीविका चुननी चाहिए।
Q.प्रेम क्या है गीता के अनुसार?
Ans.गीता जीवन में प्रेम का पाठ पढ़ाती है। … उन्होंने कहा कि प्रेम ही जीवन का आधार है। जिस के जीवन में प्रेम है उस के जीवन में शांति है। प्रेम में ही शांति निहित है।
Q.गीता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
Ans.श्रीमद्भगवतगीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है, श्रीकृष्ण भगवान के उपदेश रूपी विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है यह आत्म तत्व का निर्धारण करता है उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, एवं इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है।
Q.गीता सहित पूरे महाभारत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans.गीता ही नहीं,सम्पूर्ण महाभारत का काम लोक हृदय के मोहावरण को दूर करना है। यही काम गीता ने किया जिसके परिणामस्वरूप अर्जुन का मोह नष्ट हो गया और उसे क्षात्रधर्म का ज्ञान हो गया।
Q.गीता की मूलभूत शिक्षा क्या है?
Ans.भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में अर्जुन को जीवन जीने की सीख दी, उन्होंने बताया कि व्यक्ति को मोह, ममता का त्याग कर सही और गलत का निर्णय करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जीना और मरना, जन्म लेना और बढ़ना, विषयों का आना और जाना, सुख और दुख का अनुभव, ये तो संसार में होते ही हैं।
Q.गीता शास्त्र के महान उपदेशक कौन है?
Ans.गीता शास्त्र के महान् उपदेशक श्रीकृष्ण हैं।
Q.कितने वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया?
Ans.कहां है 5000 साल पुराना अक्षय वट… – कुरूक्षेत्र शहर से आठ किलोमीटर आगे पेहवा रोड पर स्थित है ज्योतिसर। कहते हैं कि ज्योतिसर वही जगह है जहां पर महाभारत के युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उन्होंने अर्जुन को गीता के 18 अध्याय सुनाने के बाद युद्ध के लिए तैयार किया था।
Q.गीता का कौन सा अध्याय पढ़ना चाहिए?
Ans.नौंवे अध्याय का पाठ लग्नेश, दशमेश और मूल स्वभाव राशि का संबंध होने पर करना चाहिए। गीता का दसवां अध्याय कर्म की प्रधानता को इस भांति बताता है कि हर जातक को इसका अध्ययन करना चाहिए। कुंडली में लग्नेश 8 से 12 भाव तक सभी ग्रह होने पर ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए
Q.गीता का मूल मंत्र क्या है?
Ans.जीओ गीता के संग, सीखो जीने का ढंग ध्यान रखें- मन नहीं गिरे! उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बंधुरात्मैव रिपुरात्मन:।।
Q.अंतिम समय में गीता का कौन सा अध्याय सुनना चाहिए?
Ans.जैसे गीता के आठवें अध्याय के छठे श्लोक का अर्थ किया जाता है कि ‘यह मनुष्य अंतकाल में जिस-जिस भी भाव का स्मरण करता हुआ शरीर त्याग करता है, वह उस उसको ही प्राप्त होता है क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित है।
Q.गीता के 11 अध्याय का 36 वा श्लोक क्या है?
Ans.हे अन्तर्यामिन् ! यह योग्य ही है कि आपके नाम, गुण और प्रभाव के कीर्तन से जगत् अति हर्षित हो रहा है और अनुराग को भी प्राप्त हो रहा है तथा भयभीत राक्षस लोग दिशाओं में भाग रहे हैं और सब सिद्ध गणों के समुदाय नमस्कार कर रहे हैं ।।
Q.गीता का अंतिम श्लोक क्या है?
Ans.इस ग्रंथ में उल्लिखित उपदेश इसके 18 अध्यायों में लगभग 720 श्लोकों में हैं। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है। कहते हैं जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा सकती है।
Q.मृत्यु क्या है गीता?
Ans.ठीक इसके विपरीत अपनी आयु पूर्ण कर लेने के उपरांत आत्मा का जीर्ण-शीर्ण मरणधर्मा शरीर के त्याग को ही मृत्यु कहते हैं। वेद भगवान ने भी ‘मृत्युरीशे’ कहकर स्पष्ट कर दिया कि मृत्यु अवश्यंभावी है तो मृत्यु पर विजय कैसे प्राप्त की जा सकती है।
Q.गीता के अनुसार मन क्या है?
Ans.मन को 11वीं इन्द्रिय माना जाता है, जो ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों के बीच नियामक का काम करता है। ये इन्द्रियां और मन हमारे ज्ञान और कर्म के साधन मात्र न होकर इस संसार को भोगने के भी साधन हैं। संसार का सुख भोगने में मन विचार और कल्पना के द्वारा भी सहायता करता है। मनुष्य का मन संसार की सबसे अशांत चीज है।
Q.गीता के अध्याय संख्या 11 विश्वरूप दर्शन योग का सार क्या है?
Ans.भावार्थ : अनेक मुख और नेत्रों से युक्त, अनेक अद्भुत दर्शनों वाले, बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को धारण किए हुए और दिव्य गंध का सारे शरीर में लेप किए हुए, सब प्रकार के आश्चर्यों से युक्त, सीमारहित और सब ओर मुख किए हुए विराट्स्वरूप परमदेव परमेश्वर को अर्जुन ने देखा॥
Q.भगवद गीता क्या मृत्यु के बाद क्या होता है के अनुसार?
Ans.गीता 8/16।। अर्थ : हे अर्जुन! ब्रह्म लोक सहित सभी लोक पुनरावृति हैं, परंतु हे कौन्तेय, मुझे प्राप्त होने वाले का पुनर्जन्म नहीं होता। व्याख्या : मृत्यु के बाद जीवात्मा कुछ काल के लिए अपने शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर किसी न किसी लोक में वास करती है, यदि पाप ज्यादा हैं तो नरक लोक और यदि पुण्य ज्यादा हैं तो स्वर्ग लोक।
Q.मृत्यु पर विजय कैसे पाए?
Ans.नचिकेता सत्कर्मों के महत्व को समझ कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का मंत्र जान चुके थे। भारतीय धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति सत्कर्मों में लिप्त रहता है, दूसरों की सेवा-सहायता में तत्पर रहता है, वह इहलोक में अमर होता ही है, परलोक में भी मोक्ष का अधिकारी बनता है। इसी से जुड़ा एक प्रसंग नचिकेता का है।
Q.आत्मा के बारे में श्रीकृष्ण ने क्या बताया?
Ans.गीता में श्रीकृष्ण ने आत्मा को अमर और अविनाशी बताया है जिसे न शस्त्र कट सकता है, पानी इसे गला नहीं सकता, अग्नि इसे जल नहीं सकती, वायु इसे सोख नहीं सकती। यह तो ऐसा जीव है जो व्यक्ति के कर्मफल के अनुसार एक शरीर से दूसरे शरीर में भटकता रहता है।
Q.गीता के अनुसार पाप क्या है?

Ans.पाप के कर्मों का फल अवश्य मिलता है”

बताया गया है कि जो व्यक्ति समस्त पाप कर्मों के फलों (बन्धनों) का अन्त करके भौतिक जगत् के द्वन्द्वों से मुक्त हो जाता है और भगवान् की भक्ति में लग जाता है उनके सारे पाप कर्म चाहे वे फलीभूत हो चुके हों, सामान्य हों या बीज रूप में हों, क्रमशः नष्ट हो जाते हैं।

Q.गीता के अनुसार मनुष्य को क्या करना चाहिए?

Ans.गीता के आदर्शों पर चलकर मनुष्य न केवल खुद का कल्याण कर सकता है, बल्कि वह संपूर्ण मानव जाति की भलाई कर सकता है

  • 1- क्रोध पर नियंत्रण …
  • 2 नजरिया से बदलाव …
  • 3- मन पर नियंत्रण आवश्यक …
  • 4- आत्म मंथन करना चाहिए …
  • 5- सोच से निर्माण …
  • 6- कर्म का फल …
  • 7- मन को ऐसे करें नियंत्रित …
  • 8- सफलता प्राप्त करें
Q.भगवत गीता के अनुसार पाप का मुख्य कारण क्या है?
Ans.गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है. कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है. किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच.
Q.गीता के पहले अध्याय में क्या लिखा है?
Ans.पहला अध्याय : गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोकों द्वारा अर्जुन की मन: स्थिति का वर्णन किया गया है कि किस तरह अर्जुन अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करने से डरते हैं और किस तरह भगवान कृष्ण उन्हें समझाते हैं।
Q.गीता सार में क्या लिखा है?
Ans.गीता सार में मनुष्य को देखने के नजरिए पर भी संदेश दिया गया है, इसमें लिखा गया है जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है। और जो अज्ञानी पुरुष होता है, उसे ज्ञान नहीं होने की वजह से वह हर किसी चीज को गलत नजरिए से देखता है।
Q.गीता के अनुसार वास्तविक क्या है?
Ans.इसका सार यह है कि लोक में जितने देवता हैं, सब एक ही भगवान, की विभूतियाँ हैं, मनुष्य के समस्त गुण और अवगुण भगवान की शक्ति के ही रूप हैं। बुद्धि से इन छुटभैए देवताओं की व्याख्या चाहे ने हो सके किंतु लोक में तो वह हैं ही।
Q.भगवत गीता अनुसार इच्छा को कैसे संतुष्ट किया जा सकता है?
Ans.यदि कर्म करते वक्त फल की इच्छा मन में हो तो आप पूर्ण निष्ठा के साथ वह कर्म नहीं कर पाएंगे निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ रिजल्ट देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकर अपना काम करते रहना चाहिए। फल देना, न देना व कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।
Q.गीता के 18 अध्याय का क्या नाम है?
Ans.इस अध्याय का नाम विभूतियोग है।
Q.गीता कैसे पढ़ी जाती है?

Ans.

  • गीता पढ़ते समय पूर्ण ध्यान लगाएं। …
  • गीता का पाठ करने के लिए एक ऊनी आसन लें। …
  • यदि आप गीता का पाठ करते हैं तो स्वयं ही उसके रख-रखाव और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • प्रतिदिन एक निश्चित समय और निश्चित स्थान पर ही गीता का पाठ करें। …
  • गीता के प्रत्येक श्लोक को पढ़ने के पश्चात सही प्रकार से उसके सार को भी समझें।

Q.गीता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

Ans.दुनिया में बहुत से धार्मिक किताबें हैं जो धर्म के मार्ग पर ले जाने की प्रेरणा देती हैं परंतु भागवत गीता एक ऐसा किताब है सिर्फ धर्म ही नही बल्कि अपने मन, शरीर, बुद्धि इन सभी को नियंत्रण करने के लिए शिक्षा प्राप्त होती हैं । भागवत गीता में हमें वह शिक्षा मिलती हैं जहां अन्याय के विरुद्ध आप स्वयं लड़ सकते है ।

Q.  भगवत गीता हमें क्या सिखाती है?

Ans.भगवत गीता हमें सिखाती है कि व्यक्ति को सिर्फ और सिर्फ अपने कर्म के ऊपर ध्यान देना चाहिए और कर्म में करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि जो कर्म हम कर रहे हैं वह हम सब लौटकर जरूर आएंगे. … भगवत गीता हमें सिखाती है कि यदि जीवन में कोई काम शुरू कर दें तो उस काम को पूरा करके ही व्यक्ति को रुकना चाहिए

Q.गीता का प्रमुख प्रतिपाद्य क्या है?

Ans. ४६ विद्वान् गीता का प्रतिपाद्य विषय प्रमुख रूप से ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग का विवेचन मानते हैं। ज्ञान के द्वारा सत् (सत्य) का साक्षात्कार किया जा सकता है, कर्म के द्वारा चित्त की शान्ति प्राप्त होती है तथा भक्ति के द्वारा आनन्द को प्राप्त किया जा सकता है।

Q.जीवन क्या है भगवत गीता? 

Ans.भागवत गीता का सार हमारे जीवन को एक पल में बदल सकता है। … भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है कि कोई भी व्यक्ति कर्म नहीं छोड़ सकता। प्रकृति व्यक्ति को कर्म करने के लिए बाध्य करती है। जो व्यक्ति कर्म से बचना चाहता है वह ऊपर से तो कर्म छोड़ देता है पर मन ही मन उसमें डूबा रहता है।

Q.प्रेम क्या है गीता के अनुसार?

Ans.गीता जीवन में प्रेम का पाठ पढ़ाती है। … उन्होंने कहा कि प्रेम ही जीवन का आधार है। जिस के जीवन में प्रेम है उस के जीवन में शांति है। प्रेम में ही शांति निहित है

Q.धर्म क्या है गीता के अनुसार श्लोक?

Ans.अर्थात गीता का पहला शब्द धर्म और अंतिम शब्द मम है । … इस प्रकार धर्म का तात्पर्य यह है कि वह जो किसी वस्तु का अस्तित्व प्रकट करता है । जैसे सूर्य का धर्म प्रकाश है अग्नि का धर्म उष्णता है । धर्म का अर्थ केवल साधुता या नैतिकता नहीं है वरन अपने सच्चे स्वरूप को पहचान उसी के अनुरूप कार्य करना है ।

Q.गीता का मर्म पाठ अर्जुन के विचार आपको कैसे लगे लिखिए?

Ans.जब महायोगी विशाख के मुँह से राजा आनन्दपाल ने अर्जुन और इन्द्र से सम्बन्धित प्रसंग सुना तो उसके मन में हलचल मच गई। उन्हें लगा कि राजा के रूप में उनका कार्य जन कल्याण होना चाहिए, राज भोग की लिप्सा नहीं। उनके मन में वैराग्य भाव जाग्रत हो गया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण राजपाट गीता का मर्म.

Q.गीता के अनुसार शांति कैसे मिलेगी?

Ans.निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।। अर्थ: जो मनुष्य सभी इच्छाओं व कामनाओं को त्याग कर ममता रहित और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही शांति प्राप्त होती है। मैनेजमेंट सूत्र: यहां भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन में किसी भी प्रकार की इच्छा व कामना को रखकर मनुष्य को शांति प्राप्त नहीं हो सकती।

Q.भगवान ने श्रीमद् भगवत गीता कहाँ सुनाई थी?

Ans.कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे, उस समय संजय (धृतराष्ट्र के सारथी, जिन्हें महर्षि वेदव्यास ने दिव्य दृष्टि दी थी) अपनी दिव्य दृष्टि से वह सब देख रहे थे और उन्होंने गीता का उपदेश धृतराष्ट्र को सुनाया था।

Q.गीता का जन्म कब हुआ था?

Ans.मान्‍यता है कि भगवद् गीता का जन्‍म श्री कृष्‍ण के मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था. कलयुग के प्रारंभ होने के 30 साल पहले मार्गशीर्ष शुक्‍ल एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्‍ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था वह श्रीमद्भगवद् गीता के नाम से प्रसिद्ध है

Q.गीता का जन्म कौन से स्थान पर हुआ था?

Ans.ज्योतिसर वह जगह है जहां गीता का जन्म स्थान पवित्र ज्योतिसर कुरुक्षेत्र का सबसे सम्मानित तीर्थ है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध ज्योतिसर से शुरू हुआ, जहां युद्ध की पूर्व संध्या पर अर्जुन को गीता के शासक भगवान कृष्ण से अनन्त संदेश मिला।

Q.गीता का उपदेश कितने दिन चला?

Ans.5/7गीता के उपदेश में 18 अध्याय

Q.भगवत गीता सुनने के बाद संजय पर क्या प्रभाव पड़ा?

Ans.भगवद्गीता सुनने के बाद संजय के मन-मस्तिष्क पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ा। वह श्री कृष्ण के भक्त तो पहले से ही थे, उसके साथ ही वह धृतराष्ट्र के सलाहकार भी थे। … भगवद गीता का वर्णन सुनने के बाद उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा और उनकी श्री कृष्ण के प्रति आस्था और ज्यादा हो गई।

Q.भागवत गीता घर में रखने से क्या होता है?

Ans.अक्सर बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि घर में महाभारत पढ़ने से वहां रोज महाभारत यानी झगड़े होने लगते हैं। घरों में रामायण, गीता, हनुमान चालीसा जैसे पवित्र ग्रंथ पढ़े और रखे जाते हैं लेकिन महाभारत को लेकर यह आशंका क्यों व्यक्त की जाती है कि इससे घर की शांति भंग हो जाएगी।

Q.गीता का प्रारंभ किसकी उक्ति से होता है?

Ans.गीता संस्कृत साहित्य काल में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व का अमूल्य ग्रन्थ है। यह भगवान श्री कृष्ण के मुखारबिन्द से निकली दिव्य वाणी है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। इसके संकलन कर्ता महर्षि वेद ब्यास को माना जाता है।

Q.श्रीमद भगवत गीता में कितने श्लोक हैं?

Ans.श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें करीब 700 श्लोक हैं। भागवत गीता महाभारत के 18 अध्यायों में से 1 भीष्म पर्व का हिस्सा भी है। गीता में वेदों का निचोड़ है।

Q.गीता का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

Ans.श्रीमद्भगवतगीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है, श्रीकृष्ण भगवान के उपदेश रूपी विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है यह आत्म तत्व का निर्धारण करता है उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, एवं इस दिव्य ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है

Q.गीता के पहले अध्याय में क्या लिखा है?

Ans.पहला अध्याय : गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोकों द्वारा अर्जुन की मन: स्थिति का वर्णन किया गया है कि किस तरह अर्जुन अपने सगे-संबंधियों से युद्ध करने से डरते हैं और किस तरह भगवान कृष्ण उन्हें समझाते हैं।

Q.गीता की 18 बातें कौन सी है?

Ans.जुआ, मदिरापान, परस्त्रीगमन (अनैतिक संबंध), हिंसा, असत्य, मद, आसक्ति और निर्दयता इन सब में कलियुग का वास है।

Q.धर्म क्या है गीता के अनुसार श्लोक?

Ans.अर्थात गीता का पहला शब्द धर्म और अंतिम शब्द मम है । … इस प्रकार धर्म का तात्पर्य यह है कि वह जो किसी वस्तु का अस्तित्व प्रकट करता है । जैसे सूर्य का धर्म प्रकाश है अग्नि का धर्म उष्णता है । धर्म का अर्थ केवल साधुता या नैतिकता नहीं है वरन अपने सच्चे स्वरूप को पहचान उसी के अनुरूप कार्य करना है ।

Q.भगवत गीता की विशेषता क्या है?

Ans.गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। … उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है। महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है।

Q.गीता की मूलभूत शिक्षा क्या है?

Ans.भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में अर्जुन को जीवन जीने की सीख दी, उन्होंने बताया कि व्यक्ति को मोह, ममता का त्याग कर सही और गलत का निर्णय करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जीना और मरना, जन्म लेना और बढ़ना, विषयों का आना और जाना, सुख और दुख का अनुभव, ये तो संसार में होते ही हैं।

Q.गीता का कौन सा अध्याय पढ़ना चाहिए?

Ans.नौंवे अध्याय का पाठ लग्नेश, दशमेश और मूल स्वभाव राशि का संबंध होने पर करना चाहिए। गीता का दसवां अध्याय कर्म की प्रधानता को इस भांति बताता है कि हर जातक को इसका अध्ययन करना चाहिए। कुंडली में लग्नेश 8 से 12 भाव तक सभी ग्रह होने पर ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए

Q.गीता में कौन से कर्म श्रेष्ठ है?

Ans.श्रीमद्भगवद् गीता के अध्याय छह में कर्म योग पद्धति की विशेष रूप से संस्तुति की गई है। भगवान इस बात पर बल देते हैं कि कर्म योग की प्रक्रिया भक्ति-भाव है। अर्थात कृष्ण भाव में किया गया कर्म श्रेष्ठ कर्म होता है|

Q.गीता में ईश्वर को क्या कहा गया है?

Ans.सबसे पहली बात आती है ईश्वर की। गीता में ईश्वर का नाम और उसकी चर्चा बहुत आई है, इसमें शक नहीं है। मगर यह चर्चा कुछ निराले ढंग की है। अठारहवें अध्याय के ‘ईश्वर: सर्वभूतानां’ (61) श्लोक में ईश्वर शब्द से ही उसका उल्लेख आया है।

Q.भगवत गीता कब और किसने लिखी?

Ans.!! कब और किसने की गीता की रचना !! हिन्दू ग्रंथ महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं और गीता महाभारत का ही एक हिस्सा है। माना जाता है कि चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में गीता की रचना की गई थी।

Q.गीता कितने प्रकार की होती है?

Ans.लेकिन, क्या आपको पता है कि सिर्फ भगवत गीता नहीं नहीं बल्क‍ि 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के भगवत गीता उपलब्ध हैं. श्रीमद्भगवत गीता के अलावा ये गीता भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो असल में गीता का ही अलग अलग रूप हैं. जो असल में ज्ञान तत्व को दर्शाती हैं.

Q.गीता के अनुसार पाप क्या है?

Ans.”पाप के कर्मों का फल अवश्य मिलता है”

बताया गया है कि जो व्यक्ति समस्त पाप कर्मों के फलों (बन्धनों) का अन्त करके भौतिक जगत् के द्वन्द्वों से मुक्त हो जाता है और भगवान् की भक्ति में लग जाता है उनके सारे पाप कर्म चाहे वे फलीभूत हो चुके हों, सामान्य हों या बीज रूप में हों, क्रमशः नष्ट हो जाते हैं

Q.भगवत गीता में क्या संदेश देती है?

Ans.श्रीमद्भागवत गीता यह संदेश देती है कि आत्मा अमर है , इसलिए हमें सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और हमें फल कि चिंता छोड़कर अपने क्रम पर ध्यान देना चाहिए ।

Q.श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 700 श्लोकों में श्रीकृष्ण के अलावा कितने लोगों के संवाद हैं?

Ans.पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में पार्थ (अर्जुन) को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान, महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक |

Q.गीता का मुख्य उपदेश क्या है?

Ans.- आत्मा न कभी जन्म लेती है और न मरती है। शरीर का नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता। – तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है, जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त रहता है।

Q.गीता शास्त्र के महान उपदेशक कौन है?

Ans.गीता शास्त्र के महान् उपदेशक कौन हैं? उत्तर: गीता शास्त्र के महान् उपदेशक श्रीकृष्ण हैं।

Q.कितने वर्ष पहले भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया?

Ans.कहां है 5000 साल पुराना अक्षय वट… – कुरूक्षेत्र शहर से आठ किलोमीटर आगे पेहवा रोड पर स्थित है ज्योतिसर। कहते हैं कि ज्योतिसर वही जगह है जहां पर महाभारत के युद्ध से पहले श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। उन्होंने अर्जुन को गीता के 18 अध्याय सुनाने के बाद युद्ध के लिए तैयार किया था।

Q.महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश कौन सा है?

Ans.महाभारत का सबसे मह्वतपूर्ण उपदेशात्मक खंड भगवद गीता है, जिसमें भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को धर्म और कर्तव्य के बारे में दी गई सलाह शामिल है।

Q.गीता के अध्याय 2 के अनुसार अधूरी इच्छा से क्या फायदा होता है?

Ans.गीता में कहा गया है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे उसके अनुरूप ही फल की प्राप्ति होती है. … लेकिन अगर वे फल की इच्छा में कर्म ही नहीं कर पाएंगे, तो फल भी उनकी इच्छा के अनुरूप नहीं होगा.

Q.गीता का पहला श्लोक क्या है?

Ans.विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्। वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।

Q.गीता के अनुसार किसका वध हो सकता है?

Ans.उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम, उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन, मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह|

Q.गीता के अध्याय संख्या 3 कर्मयोग का सार क्या है?

Ans.भावार्थ : सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। … इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है॥

Q.गीता के अनुसार भक्ति योग क्या है?

Ans.भक्तियोग शिक्षा देता है कि ईश्वर से, शुभ से प्रेम इसलिए करना चाहिए कि ऐसा करना अच्छी बात है, न कि स्वर्ग पाने के लिए अथवा सन्तति, सम्पत्ति या अन्य किसी कामना की पूर्ति के लिए। वह यह सिखाता है कि प्रेम का सबसे बढ़ कर पुरस्कार प्रेम ही है और स्वयं ईश्वर प्रेम स्वरूप है। … जहाँ कहीं प्रेम है, वह परमेश्वर ही है।

Q.गीता मुख्यता कर्मयोग का उपदेश देती है किसका कथन है?

Ans.योग के आदि प्रवक्ता स्वयं श्रीकृष्ण भगवान् है, इसलिए उन्हें योगेश्वर भी कहा गया है। आदि काल में भगवान् गीता का उपदेश सूर्य भगवान् को दिया, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा। इस प्रकार योग को ऋषियों ने जाना। इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवाहनहमव्ययम्।

Q.भगवान ने श्रीमद् भगवत गीता कहाँ सुनाई थी?

Ans.कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दे रहे थे, उस समय संजय (धृतराष्ट्र के सारथी, जिन्हें महर्षि वेदव्यास ने दिव्य दृष्टि दी थी) अपनी दिव्य दृष्टि से वह सब देख रहे थे और उन्होंने गीता का उपदेश धृतराष्ट्र को सुनाया था।

Q.श्री कृष्ण ने अर्जुन को क्या उपदेश दिए?

Ans.महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया, जिसके बाद धुनर्धर अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में ल़ड़ना शुरू किया। भगवान श्रीकृष्ण को भविष्य में होने वाले बुरी चीजों के बारे में पहले से ही पता था, जिसके जरिए उन्होंने अर्जुन को माध्यम बनाकर सभी मानव जाति के कल्याण के लिए उपदेश दिया था।

Q.गीता के 18 अध्याय में क्या है?

Ans.18वें अध्याय में मोक्षसंन्यास योग का जिक्र है। इसमें गीता के समस्त उपदेशों का सार एवं उपसंहार है। इसमें बताया गया है कि पृथ्वी के मानवों में और स्वर्ग के देवताओं में कोई भी ऐसा नहीं जो प्रकृति के चलाए हुए इन तीन गुणों से बचा हो। मनुष्य को क्या कार्य है, क्या अकार्य है, इसकी पहचान होनी चाहिए।

Q.गीता महाभारत के कौन से पर्व में आती है?

Ans.

महाभारत के पर्व
पर्वशीर्षकविषय-सूची
आदिपर्वपरिचय, राजकुमारों का जन्म और लालन-पालन
सभापर्वदरबार की झलक और द्यूत क्रीड़ा इंद्रप्रस्थ का निर्माण और पाण्डवों का वनवास
अरयण्कपर्वपाण्डवो का वनों में १२ वर्ष का जीवन
विराटपर्वराजा विराट के राज्य में अज्ञातवास

Q.गीता का कौनसा अध्याय पढ़ना चाहिए?

Ans.शनि संबंधी पीड़ा होने पर प्रथम अध्याय का पठन करना चाहिए

भगवद् गीता को हिंदू धर्म ग्रंथों में पवित्र माना गया है। गीता पाठ के लाभ व नियम भी हैं। गीता पाठ करने से ज्ञान की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही अशांत मन को शांति मिलती है। लेकिन भगवत गीता का पाठ करने का तरीका कुछ अलग होता है।

Q.गीता का पाठ पढ़ने से क्या होता है?

Ans. – गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है। 2 – हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। 4 – सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है। 5 – हमारे अंदर का सारा भय दूर हो जाता है और हम निर्भय बन जाते हैं।

Q.मुक्ति के लिए गीता का कौनसा अध्याय पढ़ना चाहिए?

Ans.गीता के अंतिम अध्याय का नाम है – मोक्ष सन्यास योग। भारतीय चिंतन में मानव जीवन का परम उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना अथवा आवागमन के चक्र से मुक्ति माना गया है।

Q.गीता में कृष्ण ने अर्जुन से क्या कहा?

Ans.अर्जुन की बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा– हे पार्थ! सबसे पहली और आवश्यक बात यह जान लो कि सुख और दुख एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। वास्तव में ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यदि दुख ना हो, तो सुख की अनुभूति भी ना हो पाएगी।

Q.मृत्यु क्या है गीता?

Ans.ठीक इसके विपरीत अपनी आयु पूर्ण कर लेने के उपरांत आत्मा का जीर्ण-शीर्ण मरणधर्मा शरीर के त्याग को ही मृत्यु कहते हैं। वेद भगवान ने भी ‘मृत्युरीशे’ कहकर स्पष्ट कर दिया कि मृत्यु अवश्यंभावी है तो मृत्यु पर विजय कैसे प्राप्त की जा सकती है।

Q.अध्याय ५ में कुल कितने श्लोक हैं?

Ans.पांचवां अध्याय : कर्म संन्यास योग गीता का पांचवां अध्याय है, जिसमें 29 श्लोक हैं। अर्जुन इसमें श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि कर्मयोग और ज्ञान योग दोनों में से उनके लिए कौन-सा उत्तम है।

Q.भीष्म पर्व महाभारत का कौन सा पर्व है?

Ans.भीष्म पर्व में कुरुक्षेत्र में युद्ध के लिए सन्नद्ध दोनों पक्षों की सेनाओं में युद्धसम्बन्धी नियमों का निर्णय, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को भूमि का महत्व बतलाते हुए जम्बूखण्ड के द्वीपों का वर्णन, शाकद्वीप तथा राहु, सूर्य और चन्द्रमा का प्रमाण, दोनों पक्षों की सेनाओं का आमने-सामने होना, अर्जुन के युद्ध-विषयक विषाद तथा …

Q.महाभारत का पुराना नाम क्या है?

Ans.महाभारत का पुराना नाम “जयसहिंता” था इससे पहले इसे भारत महाकाव्य के नाम से जाना भी जाना जाता था। महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक हैं। यह महाकाव्य जयसहिंता, भारत और महाभारत इन 3 नामों से लोकप्रिय हैं। इस ग्रंथ की रचना 3100 ईशा पूर्व की के लगभग मानी जाती है।

Q.भगवद्गीता में भगवान कृष्ण द्वारा सबसे पहले कौन से श्लोक बोले गए हैं?

Ans.भगवद्गीता सन्देश सार गीता का उपदेश अत्यन्त पुरातन योग है। श्री भगवान् कहते हैं इसे मैंने सबसे पहले सूर्य से कहा था।

Q.क्या है गीता का ज्ञान?

Ans.श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती है। महाभारत के युद्ध के पहले अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। गीता के उपदेशों पर चलकर न केवल हम स्वयं का, बल्कि समाज का कल्याण भी कर सकते हैं। … तब उनके सारथी बने श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं।

Q.गीता का मूल मंत्र क्या है?

Ans.जीओ गीता के संग, सीखो जीने का ढंग ध्यान रखें- मन नहीं गिरे! उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बंधुरात्मैव रिपुरात्मन:।|

Q.भगवद्गीता अनुसार इच्छाओं को कैसे संतुष्ट किया जा सकता है?

Ans.मैनेजमेंट सूत्र: भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है।

Q.दुख में भगवान मदद क्यों नहीं करते हैं?

Ans.गीता में भगवान कहते हैं, ”हे भारत! तू सब प्रकार से उस परमेश्वर की ही अनन्य शरण को प्राप्त हो। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शांति को और सनातन परधाम को प्राप्त होगा।

Q.भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश समाप्त करने में कितना समय लिया?

Ans.कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया, गीता में भी 18 अध्याय हैं। गीता से समस्त विश्व को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

Q.श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश देते समय अर्जुन को जो स्वरूप दिखलाया था उसका क्या नाम था?

Ans.पौराणिक कथा के अनुसार जिस समय भगवान श्री कृष्ण कुरुक्षेत्र की रणभूमि में पार्थ (अर्जुन) को गीता के निष्काम कर्मयोग का उपदेश दे रहे थे उस समय धनुर्धारी अर्जुन के अलावा इस उपदेश को विश्व में चार और लोग सुन रहे थे जिसमें पवन पुत्र हनुमान, महर्षि व्यास के शिष्य तथा धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित सदस्य संजय और बर्बरीक .

Q.गीता का उपदेश महाभारत युद्ध में कब हुआ?

Ans. आर्यभट्ट के गणना अनुसार गीता का ज्ञान 5154 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। 3112 ईसा पूर्व हुए भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ।

Q.गीता में कितने श्लोक भगवान श्रीकृष्ण ने कहे हैं?

Ans.भारत की सनातन संस्कृति में श्रीमद्भगवद्गीता न केवल पूज्य बल्कि अनुकरणीय भी है। इस ग्रंथ में उल्लिखित उपदेश इसके 18 अध्यायों में लगभग 720 श्लोकों में हैं। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है।

Q.गीता का पहला और अंतिम अक्षर मिलाकर कौन सा शब्द बनता है?

Ans.भगवान श्रीकृष्ण संसार की शुरुआत से पहले भी थे और इस संसार के अंत के बाद भी रहेंगे। सभी मनुष्यों को गीता के पहले श्लोक के पहले शब्द ‘धर्म’ और आखिरी श्लोक के आखिरी शब्द ‘मम’ को ही स्मरण रखना पर्याप्त है। क्योंकि ‘धर्म मम’ का अर्थ है कि धर्म मेरा है, मैं धर्म का हूं।

Q.गीता कौन सा ग्रंथ है?

Ans.वेदों के ज्ञान को नए तरीके से किसी ने व्यवस्थित किया है तो वह हैं भगवान श्रीकृष्ण। अत: वेदों का पॉकेट संस्करण है गीता जो हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र ग्रंथ है।

Q.भगवद्गीता किसका अंश हैं?

Ans.भागवत गीता महाभारत जैसे महान ग्रंथ का अंश‌ है जिसे वेदव्यास जी द्वारा लिखा गया था।

Q.गीता का मूल सार क्या है?

Ans.प्रत्येक मनुष्य में अपने जीवन को और अन्य मनुष्यों के जीवन को सुधारने की इच्छा बहुत स्वाभाविक है। आजकल जब चारों ओर भ्रांति का वातावरण दिखाई दे रहा है, तब यह इच्छा और भी प्रबल हो गई है।

Q.भगवत गीता कितने प्रकार की होती है?

Ans.लेकिन, क्या आपको पता है कि सिर्फ भगवत गीता नहीं नहीं बल्क‍ि 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के भगवत गीता उपलब्ध हैं. श्रीमद्भगवत गीता के अलावा ये गीता भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो असल में गीता का ही अलग अलग रूप हैं.

Q.भागवत कथा कितने दिन का होता है?

Ans.हमारे यहाँ सात दिन तक सत्पुरुषों का बड़ा दुर्लभ समागम होगा और अपूर्व रसमयी श्रीमदभागवत कथा होगी। आप लोग इस श्रीभगवद रसके रसिक है। अतः श्रीमद भागवत कथा का रसामृत पान करने के लिए प्रेमपूर्वक शीघ्र पधारने की कृपा करे। यदि आपको अवकाश न हो तब भी आपको समय निकालना चाहिए।

Q.हमें बुरे समय में क्या करना चाहिए आपको बतलाना हैं इस कहानी में गीता के किन श्लोकों का प्रयोग किया गया हैं?

Ans.भगवान श्रीकृष्ण गीता के नौवें अध्याय के 22 वें श्लोक में कहा है कि जो मनुष्य मेरे पर मन लगाते हैं, मेरा ध्यान करते हैं। मैं उनको वो प्रदान करता हूं जो उनके पास नहीं है। साथ ही जो उनके पास है मैं उनकी रक्षा भी करता हूं।

Q.श्रीमद भगवत गीता के वक्ता कौन हैं?

Ans.महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं

यह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया एक ही स्रोत पर निर्भर करता है।

श्रीमद्भगवद्गीता
कृष्ण और अर्जुन कुरुक्षेत्र में,
जानकारी
धर्मसनातन धर्म
लेखकवेदव्यास

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पुस्तक की श्रेणी/ Category : धर्म/ Religious,हिन्दू/ Hinduism

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